थोड़ी सी हंसी.....
मसरूफ हो गये हैं तेरे रूठ जाने के बाद ....फुर्सत को डब्बे में बंद करके रख दिया है ....बचपन तेरी गोद में छुट जाने के बाद .....
ऐ ज़िन्दगी ....अरसा हुए तुजसे मिले .....ख़ुशी जो तेरी गोद में खेलती है ...याद तो बहुत आती है ....पर वक़्त नही देते खुद को की तुजसे हो मुलाक़ात
बचपन की नज़र थी दर्द की न फ़िक्र थी ....
गिरते पड़ते चोट खाते भी खुश थे ....
क्यूंकि हाथों में था तेरा हाथ .....
जरा बेखबर होजाएं इस रोज़ की गहमागहमी से एक लम्हा चुराएं ......चल कहीं दूर चलें ...जरा देर को मिले तेरा साथ .....
तेरा साथ ...ज़िन्दगी ..
तुझसे मुलाक़ात ...ज़िन्दगी ..
कुछ देर की हंसी ज़िन्दगी .....
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