मै आम आदमी हूँ ....


 नब्स टटोल लेती है ......भागती दौड़ती सी मेरे संग ....

वक़्त का एहसास करती मुझे .....मेरा एहतराम है.... मेरी कलाई पर बंधी वो घडी........


रात के राज़ खोल देती है ...मेरे मेहनत भरे दिन का ईनाम है ....

मुझे काम से थक कर आई  हुई वो नींद ...


ज़रा सा साथ , ज़रा सा अनजान है ......मेरे खून पसीने से बना जाम है....

मेरा ये आराम ....


ख़ुशी में घुली सी ...चाय में मिली सी ... बहुत हफ़्तों के बाद आई बेफिक्री में गुजरी एक शाम है...

ये छुट्टी का दिन......


मै आम आदमी हूँ .... मेरे बच्चों की पढाई .....सर्दी में रजाई ....

गर्मी में पंखा..... और सब्जी के ऊपर चढ़े दाम......फिर भी रात को परिवार को खुश देख ....

पत्नी के चेहरे पर खिली वो मुस्कान है ....

मेरी रोज़ी ....


मेरा मंदिर ...मेरे चारो धाम है .....

मेरा काम .... 

-- संजीदा 


image source :- https://www.google.com/url?sa=i&url=https%3A%2F%2Fwww.csmonitor.com%2FWorld%2FAsia-South-Central%2F2011%2F0518%2FFor-Indians-the-climb-into-the-middle-class-is-a-family-affair&psig=AOvVaw3YTRGvQEy-bqWEyti5nDEs&ust=1603596341533000&source=images&cd=vfe&ved=0CAIQjRxqFwoTCIDMipWkzOwCFQAAAAAdAAAAABAJ





Comments

Popular Posts